000 पिथौरागढ़ में मर्म चिकित्सा से कई लोगों को फायदा
पिथौरागढ़ में मर्म चिकित्सा से कई लोगों को फायदा

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में एक से पांच अक्टूबर तक आयोजित पांच दिनी योग महोत्सव एवं मर्म चिकित्सा शिविर में 1500 से अधिक मरीजों का उपचार किया गयाl वर्षों से शारीरिक कष्ट झेल रहे लोगों के लिए यह शिविर वरदान साबित हुआ। अब लोग यह पूछने लगे हैं कि दुबारा शिविर कब लगेगा। कुछ लोग तो ऐसे हैं कि वह शिविर के दौरान सीखी चिकित्सा प्रणाली का लाभ अन्य लोगों तक भी पहुंचा रहे हैं।

विश्वविख्यात मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सुनील जोशी के नेतृत्व में चिकित्सकों ने कई मरीजों को उनकी सालों पुरानी बीमारी में आराम दिलाया। मर्म चिकित्सा के साथ-साथ विख्यात योगगुरु अवकाश प्राप्त आईएफएस कई देशों में भारतीय राजदूत रह चुके चंद्रमोहन भंडारी योग से होने वाले लाभ का प्रत्यक्ष दर्शन कराया।

मर्म चिकित्सा को लोग चमत्कारिक चिकित्सा प्रणाली बताते हुए इसकी प्रशंसा करने से नहीं थकते। मर्म चिकित्सा शिविर में शामिल हुए सैकड़ों मरीजों को फायदा हुआ। सबसे खास बात यह थी कि शिविर में आए हर मरीज को डाक्टरों की टीम ने देखा और उनको तत्काल फायदा भी पहुंचाया। शारीरिक व्याधियों के कारण जिंदगी से निराश हो चुके लोगों के लिए अमर उजाला फाउंडेशन का यह शिविर नई रोशनी लेकर आया था। कई लोग अब खुशहाल जिंदगी बिता रहे हैं। 

घुटनों का दर्द 85 फीसदी कम हो गया:
मूल रूप से पाताल भुवनेश्वर निवासी और इस समय पिथौरागढ़ देवसिंह मैदान के पास चाट का ठेला लगाने वाले 48 वर्षीय राजेंद्र सिंह रावल ने बताया कि उनके पांवों और घुटनों का दर्द 85 फीसदी तक कम हो गया है। अमर उजाला फाउंडेशन के पिथौरागढ़ में लगे शिविर में राजेंद्र सिंह ने भी उपचार कराया। श्री रावल ने बताया कि वह आज ही सिलौनी गांव जाकर एक व्यक्ति का मर्म चिकित्सा प्रणाली से इलाज कर आए हैं। उनको कई मर्म बिंदुओं की जानकारी इसी शिविर में हो गई थी। वह चाहते हैं कि जल्दी यह शिविर फिर लगाया जाए। 

गले में कॉलर बांधने से छुटकारा मिला:
जिला अधिवक्ता संस्था के उपाध्यक्ष अनिल रौतेला को स्पोंडिलाइलिटिस की बीमारी थी। उन्होंने लंबे समय तक गले में कॉलर भी लगाया था। एक अक्तूबर 2017 को जब अमर उजाला फाउंडेशन का मर्म चिकित्सा शिविर लगा तो उन्होंने सबसे पहले डाक्टरों को दिखा दिया था। अब वह गले में कॉलर लगाने की समस्या से छुटकारा पा चुके हैं। अनिल का कहना है कि डाक्टर तो सिर्फ तकलीफ के अनुसार मर्म बिंदु समझाते हैं। अभ्यास खुद करना पड़ता है। वह नियमित मर्म बिंदु को दबाते हैं और आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। वह भी यही चाहते हैं कि अमर उजाला एक बार फिर से इस तरह का शिविर यहां पर लगाए ताकि तमाम लोगों को उसका लाभ मिल सके।

रोगी को डॉक्टर बनाती है मर्म चिकित्सा : डॉ. मयंक      
मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ मयंक जोशी ने बताया कि मर्म चिकित्सा शरीर के मर्म बिंदुओं पर दबाव देकर इलाज करने की एक पद्धति है। इस पद्धति की एक खासियत यह है कि इसमें रोगी भी चिकित्सक बन जाता है। यानी कि अपना इलाज करते-करते दूसरों को ज्ञान बांटने लगता है। जोशी कहते हैं कि मर्म चिकित्सा मानसिक स्तर सुधारने का भी काम करती है। केवल दर्द ही नहीं दि दवा के साथ मर्म चिकित्सा का लाभ लिया जाए तो त्वचा रोग भी इससे दूर किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोग तमाम तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, ऐसे में मर्म चिकित्सा का ज्ञान अमृत का काम कर सकता है।  

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