00 पुलिस की पाठशाला में एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने बच्चों को किया आगाह
पुलिस की पाठशाला में एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने बच्चों को किया आगाह।
हल्द्वानी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वीटी अग्रवाल ने नई पीढ़ी को आगाह करते हुए कहा कि सोशल साइट पर सर्फिंग करो मगर सावधानी से। फेसबुक पर जिसे जानते हो उसे ही फ्रेंडशिप में एड करें, अन्यथा अनजान व्यक्ति से फ्रेंडशिप करने पर वे मुसीबत में फंस सकते हैं। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से शनिवार को आयोजित पुलिस की पाठशाला में एसएसपी ने छात्र-छात्राओं से सवाल जवाब करते हुए ये बातें कहीं। कुसुमखेड़ा स्थित हरगोविंद सुयाल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में एसएसपी ने सोशल साइट के माध्यम से होने वाले क्राइम की जानकारी देते हुए कहा कि फेसबुक पर कोई भी स्मार्ट लड़के-लड़की का फोटो डालकर प्रोफाइल से आपको गुमराह कर सकता है।
 
इसलिए जरूरी है कि जिसको आप जानते नहीं उसे फेसबुक की फ्रेंडशिप से तुरंत डिलीट कर दें। उन्होंने विद्यार्थियों को सोशल साइटों से जोड़ने के बारे में प्रधानाचार्य को भी सलाह दी। एसएसपी ने बच्चों को साइबर क्राइम से जुड़ी तमाम जानकारियां देते हुए बताया कि कोई चीज आपको मुफ्त दे रहा है तो उसके पीछे कुछ गड़बड़ भी हो सकती है। क्या कोई दस रुपये के बदले आपको एक हजार रुपये दे सकता है? नहीं तो फिर आप मोबाइल फोन पर आने वाली इस तरह की कॉल्स से सावधान रहें। उन्होंने छात्राओं के असुरक्षा से संबंधित पूछे गए सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि अगर उनके साथ कहीं आने जाने में कोई छेड़छाड़ या परेशान कर रहा है तो 1090 या 100 नंबर पर फोन कर शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। शिक्षिकाएं भी सवाल पूछने में पीछे नहीं रहीं।
 
हरगोविंद सुयाल इंटर कालेज के प्रधानाचार्य खीम सिंह बिष्ट ने कहा कि टीवी सीरियल में दिखने वाली घटनाएं सच नहीं होतीं। पुलिस की पाठशाला आयोजित करने के लिए अमर उजाला की पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से बच्चों को नियम और कानून की जानकारी मिल सकेगी। प्रधानाचार्य ने विद्यार्थियों को पुलिस के बारे में जानकारी देने के लिए एसएसपी स्वीटी अग्रवाल का आभार जताया। पुलिस की पाठशाला में उप प्रधानाचार्य जगदीश चंद्र परगांई, प्रबंध समिति सदस्या सुधा टंडन समेत सभी शिक्षक - शिक्षिकाएं मौजूद रहे। पाठशाला में याचिका मेहता, श्वेता तिवाड़ी, शालिनी पांडे, अजय देवड़ी, हर्षिता गोस्वामी, बबीता राठौर, हिमांशु जोशी, सौरभ सांगुड़ी, सोनू लटवाल, लक्षिका देवका आदि ने सवाल पूछे।
 
एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने पुलिस की पाठशाला की शुरूआत में विद्यार्थियों से पूछा कि वे पुलिस वाले को रोड पर खड़ा देखते हैं तो क्या सोचते हैं पुलिस कर्मी कैसा होना चाहिए? कई बच्चों ने एसएसपी के इस सवाल का जवाब दिया। बच्चों ने बताया कि पुलिस कर्मी मृदुभाषी हो, तुरंत एक्शन करने वाला हो, निष्पक्ष हो, समान व्यवहार करे, ईमानदार एवं बेखौफ होना चाहिए। एसएसपी ने बच्चों के जवाब मिलने पर कहा एक पुलिस कर्मी में इन सब गुणों के साथ उनमें फिटनेस भी होनी चाहिए, वे स्मार्ट भी हों। लेकिन पुलिस से समाज के हर वर्ग की तमाम अपेक्षाएं रहतीं है। कहीं शराब का मामला हो तो पुलिस, कहीं भ्रष्टाचार का मामला हो तो पुलिस, अतिक्रमण हो तो पुलिस। जबकि इन सबके लिए सरकारी विभाग हैं मगर फिर भी पुलिस की इसमें अहम भूमिका रहती है। उन्होंने बच्चों से सवाल किया बताओ आपके विद्यालय में कितने लोगों में ये सब गुण हैं?
 
विद्यार्थियों ने जवाब दिया कि विद्यालय के प्रधानाचार्य खीम सिंह बिष्ट में ये सब गुण हैं। दूसरे विद्यार्थियों ने उप प्रधानाचार्य जगदीश चंद्र परगांई को भी बताया तो छात्राओं ने अपनी शिक्षिका नीमा अग्रवाल को भी इसी श्रेणी में बताया। एसएसपी: अब बताओ कि जब इतने बड़े स्कूल में तुम केवल तीन लोगों में ये सब गुण ढूंढ पाए तो एक पुलिस कर्मी में ये सब गुण होना बहुत मुश्किल है, वो भी तो इसी समाज के अंग हैं। पुलिस में 80 फीसदी लोग अच्छे हैं जबकि 20 फीसदी लोग खराब। इसके बावजूद उत्तराखंड की पुलिस बहुत अच्छी है दूसरे राज्यों की तरह बेईमान और शातिर नहीं।
 
सवाल: घटना होने के बाद देरी से क्यों पहुंचती है पुलिस?
जवाब: जब घटना होगी तभी तो पुलिस पहुंचेगी, कहीं मर्डर होने वाला है इसकी पुलिस को पहले कैसे सूचना मिल सकती है।
 
सवाल: पुलिस विभाग लड़कियों के लिए अच्छा क्यों नहीं माना जाता?
जवाब: अपनी सोच का अंतर है। समाज में लड़कियों से परिवार को कई अपेक्षाएं होती हैं। पुलिस की ड्यूटी 24 घंटे की होती है इसलिए लड़कियों को अपने परिवार को समय देने में परेशानी आती है। मैरिड लाइफ में बच्चों की देखभाल करनी होती है इसलिए समाज लड़कियों के लिए पुलिस को ज्यादा अनुकूल नहीं मानता। लेकिन मुझसे अगर कोई नौकरी का चयन करने के बारे में पूछे तो मैं पुलिस विभाग का ही चयन करूंगी।
 
सवाल: 80 फीसदी पुलिस सही है और 20 फीसदी पुलिस गलत है तो फिर मीडिया में पुलिस को लेकर खराब खबरें क्यों आतीं हैं?
जवाब: टीवी और अखबारों में मसालेदार खबरें देने के चक्कर में पुलिस की छवि खराब दिखाई जाती है जबकि ऐसा है नहीं।
 
सवाल: घर से शाम को ट्यूशन के लिए जाने पर रास्ते में गलत होने को लेकर मन में डर बना रहता है, इसके लिए क्या करें?
जवाब: छात्राओं को इस समस्या के लिए 1090 फोन नंबर पर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। छेड़छाड़ की घटनाओं को नजरअंदाज न करें बल्कि उनका मुकाबला करने की हिम्मत दिखाएं।
 
सवाल: कई जगह पुलिस कर्मी शराब पीकर ड्यूटी करते दिखते हैं।
जवाब: इस तरह की शिकायत मिलने पर तुरंत संबंधित पुलिस कर्मी का मेडिकल करवाकर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
 
सवाल: शिकायत करने जाने पर महिलाओं के साथ थाने और चौकियों में अच्छा व्यवहार नहीं होता। पुलिस वाले महिलाओं की सुनवाई नहीं करते।
जवाब: अगर मेरे पास शिकायत लेकर आता है तो इसका मतलब चौकी और थाने में उसकी सुनवाई ठीक से नहीं हुई। इस पर मैं यह मानती हूं कि जिस चौकी के दरोगा ने सुनवाई नहीं की तो उसे वहां रहने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होती है।
 
सवाल: पुलिस वाले नियम तोड़ने वालों से खुलेआम रिश्वत लेते हैं?
जवाब: इसकी शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी। समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि अगर कहीं गलत हो रहा है तो 100 नंबर पर तुरंत इसकी जानकारी दें।
 
सवाल: पुलिस वाले अच्छे होते हैं तो वे शराब और सिगरेट क्यों पीते हैं? कहीं छेड़खानी होने पर पीड़ित लड़की को ही पुलिस गलत क्यों मानती है?
एसएसपी: ये सब टीवी सीरियल में होता है वास्तव में ऐसा नहीं है। पुलिस सेफ्टी के लिए है ना कि किसी के साथ गलत करने के लिए। नौजवानों को हेलमेट लगवाने के पीछे भी उनकी सेफ्टी का ही मकसद है।
 
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