प्रीती आज जब बोलती है कि हमारी शादी भी रुक गयी और हम बीए की पढ़ाई भी कर रही हैं, तो उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती है। प्रीती की पढ़ाई इंटर में रोक दी गयी। शादी करके अपने घर जाओ, यह कहकर घर वालों ने आगे पढ़ने की जरूरत को खारिज कर दिया। तब प्रीती अड़ गयी कि आगे पढ़ाओ या न पढ़ाओ, लेकिन अभी 17 बरस की उम्र में शादी नहीं करूंगी। उसकी इस जिद को परिवार वाले किसी तरह मान गये। एक बार बाल विवाह से बच गयी तो प्रीती ने धीरे-धीरे आगे की पढ़ाई के लिए भी घर वालों को राजी कर ही लिया।

शुरू में प्रीती को अपने पिता को इस बात के लिए राजी करने में ही काफी जोर लगाना पड़ा कि इंटर के दौरान ही उसका विवाह न कर दिया जाए। बलरामपुर के पचपेड़वा ब्लॉक के विशुनपुर गांव की प्रीती के पिता का तो सीधा सा तर्क था कि ज्यादा पढ़ कर भी क्या अलग करना है, अब तुम्हारी शादी करते हैं और तुम अपने घर जाओ।  अपने व्यक्तित्व विकास के और तरीकों पर भी काम करते हुए प्रीती ने खुद को हुनरमंद बनाने के तरीके खोजे और अपने छोटे भाई-बहनों को पढ़ाने पर भी उसने ध्यान देना शुरू किया। कुछ उसके बाद उसने जिद पकड़ी कि अभी आगे पढ़ना है। प्रीती की खुशी उसके चेहरे से छलकती है क्योंकि वह उच्च शिक्षा के पायदान पर खड़ी होकर आगे बढ़ने के सपने देख पा रही है।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी सुषमा ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा  अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

Share:

Related Articles: