00 एक जिला जहां लड़कों को भी है बाल विवाह का डर | बड़े बदलाव की छोटी कहानियां

``अभी मैं इंटर में पढ़ रहा हूं और बाल विवाह से बाल-बाल बचा हूं।`` -- यह कहना है अरुण कुमार यादव का जिनकी मूंछें भी अभी ठीक से नहीं आईं हैं। लेकिन बाल विवाह की सबसे ज्यादा दर के लिए बदनाम श्रावस्ती जिले में लड़कियों की तरह लड़कों का भी कच्ची उम्र की शादी में फंस जाना कोई नई बात नहीं है। यहां होने वाली हर पांचवीं शादी वास्तव में बाल विवाह होती है। पास के प्रेम कुमार शुक्ला इंटर कॉलेज में पढ़ रहे अरुण को शायद इस तथ्य का अंदाजा नहीं था। इसलिए उन्हें तगड़ा झटका लगा।

श्रावस्ती के गिलौला ब्लॉक के हरिवंशपुर गांव में रहने वाले अरुण बताते हैं कि कुछ ही दिन पहले उन्हें पता लगा कि उनका परिवार उनकी शादी की तैयारी कर रहा है। हैरान-परेशान अरुण अपनी मां से पूछने गए। मां बोली कि, `` बेटा, मैं अब बीमार रहती हूं। इसलिए चाहती हूं कि तेरी शादी जल्दी हो जाए। `` पिता ने भी कह दिया कि शादी तो करनी ही पड़ती है। अनुनय-विनय का कोई असर उन पर नहीं पड़ा।

अरुण ने ऐसे में अपने कॉलेज टीचर की मदद ली। टीचर घर आए और मां-बाप दोनों को समझाया। अब जाकर उनकी बात समझ में आई। अब अरुण पढ़ रहा है। सही वक्त आने पर वह परिणय सूत्र में बंधेगा। अमर उजाला और यूनीसेफ के ` स्मार्ट बेटियां` अभियान के तहत इंटरनेट साथी ननकना यादव ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान `स्मार्ट बेटियां` के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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