नवीं में पढ़ रही प्रीति ने जब माता-पिता से अपना बाल विवाह न करने की बात कही तो उन्होंने बात मानने से इनकार कर दिया। लेकिन स्कूल में हुई चर्चा के आधार पर जब दोबारा प्रीति ने मां से बात की तो बाल विवाह के खतरे और उससे उन्हीं की बेटी के जीवन पर आने वाले संकट की बात उनके गले उतर गई। बाद में पिता भी मान गये। आज प्रीति खुशी और भरोसे के साथ दसवीं में पढ़ रही है।

श्रावस्ती के इकौना ब्लॉक के जानकीनगर गांव की प्रीति को पता था कि बाल विवाह न केवल कानूनन गलत है बल्कि उसके अपने जीवन के लिए भी नुकसानदेह है। घर में जब उसने अपने विवाह की चर्चा सुनी तो अपनी समझ के बल पर माता-पिता को बाल विवाह न करने के लिए मनाने की कोशिश की। उसकी बात को हवा में उड़ा दिया घर वालों ने। तब उसने इस बारे में स्कूल में चर्चा की और अपनी समझ और तर्कों को और धार दी। दोबारा जब उसने स्कूल में हुई चर्चा को घर वालों के सामने रखा तो मसले की गंभीरता पर गौर किया गया। कम उम्र में मां बनने से मां और बच्चे के जीवन पर आने वाले संकट की बात उन्हें समझ में आई और अपनी बेटी को इस अंधे कुएं में झोंकने से रुक गये प्रीति के माता-पिता।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी अनीता सिंह ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा  अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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