00 जिससे राखी बंधवाई, उसकी रक्षा भी करके दिखाई | बड़े बदलाव की छोटी कहानियां

बलरामपुर के रेहरा बाजार क्षेत्र में एक गांव है रामपुर अर्ना। वहीं एक छोटी दुकान चलाते हैं अमर नाथ वर्मा। घर में छोटी बहन नीलम भी है। कुछ दिन पहले एक मौका ऐसा आया जब अमरनाथ को अपने ही मां-बाप से अपनी बहन की रक्षा करनी पड़ी। दरअसल अमर नाथ के किसान पिता ने नीलम की शादी करने का फैसला कर लिया था। नीलम अभी अठारह बरस की नहीं है। वह स्कूल में पढ़ रही है। लेकिन पिता अड़े थे कि नीलम के हाथ पीले करने हैं। अमरनाथ ने समझाया कि कच्ची उम्र की शादी से नीलम की सेहत और पढ़ाई दोनों चौपट हो जाएंगे। लेकिन वह नहीं माने। बातचीत के कई सत्र हुए। लेकिन पिता जस के तस।

आखिर में अमरनाथ ने पड़ोस में रहने वाले पतिराम को अपनी समस्या बताई। अमरनाथ के पिता पतिराम को बहुत मानते थे। पतिराम ने अमरना‌थ की चिंता को समझा और नीलम का ब्याह टालने के लिए उनके पिता पर दबाव बनाया। जब बेटा और पड़ोसी मिलकर समझाने आए तब पिता को अहसास हुआ कि सचमुच कुछ गलत होने जा रहा था। उन्होंने शादी टाल दी।

नीलम बच गई। अब वह पढ़ रही है। अमरनाथ ने बहन की राखी का फर्ज निभाया। उसकी रक्षा की। बाल विवाह नाम के राक्षस से, जो स्वास्‍थ्य, शिक्षा और आत्मसम्मान सब कुछ खा जाता है। अमर उजाला और यूनीसेफ के ` स्मार्ट बेटियां` अभियान के तहत इंटरनेट साथी अनीता ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान `स्मार्ट बेटियां` के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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