पड़ोसी चाची ने आकर घरवालों को ठीक से न समझाया होता तो 15 साल की रोशनी के  जीवन से डॉक्टर बनने की आस की रोशनी तो बुझ ही गयी थी। आठवीं में पढ़ रही रोशनी को बाल विवाह की गिरफ्त से बचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी।

अपनी बात का कोई असर न होता देख कर श्रावस्ती के इकौना ब्लॉक के बगनहा गांव की 8वीं की इस छात्रा ने पड़ोसियों का सहारा लिया। पड़ोसी चाचा-चाची को बाल विवाह के खिलाफ तर्कों से जीतना रोशनी के लिए आसान साबित हुआ। एक बार वे तैयार हो गये तो फिर चाची की अगुवाई में दोनों  ने आकर रोशनी के माता-पिता को कायदे से समझाया कि लड़की की जिंदगी से खिलवाड़ मत करो, उसे अभी पढ़ने दो। बाल विवाह से जुड़ी तमाम परेशानियों को जब चाची ने रोशनी के माता-पिता को बताया तो बातें उनके भी दिमाग में घर कर गयीं।

छोटी सी रोशनी की घुमाकर कान पकड़ने की यह रणनीति काम कर गयी और उसकी शादी की चर्चा भी रुक गयी। अब वह सुकून के साथ पढ़ती हुई आगे बढ़ रही है, खुलकर अच्छी शिक्षा पाने के सपने देख रही है।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी ननकना यादव ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा  अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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