000 अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान समारोह- 2016
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा- 2016 सम्मान समारोह के तहत लोकसभा परिसर में 38 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया

कितने ही बीज इस दुनिया में अंकुरित होकर सहयोग और मार्गदर्शन के बिना फल-फूल नहीं पाते। सही मायनों में जरूरतमंद और मेधावी बच्चों को ये मौका दिया है अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान ने। लोकसभा परिसर के भीतर सम्मान लेने आए गलियारे को निहारते यह अल्फाज एक अभिभावक के थे। वहीं बच्चों और उनके अभिभावकों से सहज भाव से मिलने वाली लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि स्वर्गीय अतुल माहेश्वरी के सपनों को आगे बढ़ाता अमर उजाला फाउंडेशन शानदार मिसाल पेश कर रहा है। यह छात्रवृत्ति सम्मान छात्र-छात्राओं के लिए आत्मविश्वास की पहली सीढ़ी है।

मंगलवार, 13 जून, 2017 को लोकसभा परिसर में अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा-2016 के तहत छह राज्यों के डेढ़ लाख बच्चों के बीच से चुने गए कुल 38 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करते हुए लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन बच्चों से उन्हीं के अंदाज में बालमन होकर मिलीं। इस मौके पर 9 और दसवीं के बच्चों को लोकसभा की ओर से वैज्ञानिक  के जीवन पर आधारित पुस्तक एक था कार्वर और 11 व 12वीं के बच्चों को भारत की एकता के सूत्रधार सौंपी गई। वहीं इस मौके पर दो दृष्टिहीन मेधावी छात्रों को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर लोकसभा के महासचिव अनूप मिश्र और लोकसभा की संयुक्त सचिव कल्पना शर्मा और अमर उजाला फाउंडेशन के पदाधिकारी मौजूद रहे।

हास्य व्यंग्य से तोड़ा बच्चों का संकोच
ग्रामीण व शहरी कस्बों से आए दूर-दराज के बच्चों के मन का संकोच तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि आप आज हिंदुस्तान की सबसे बड़ी पंचायत में मौजूद हैं। आप लोगों के कुछ सवाल हों तो मुझसे पूछिए। संकोच की शांति तोड़ सुमित्रा महाजन ने खुद ही लोकसभा दीर्घा के बारे में बच्चों से सवाल पूछ लिया। बच्चों की ओर से जवाब मिला कि यहां कानून बनते हैं, बिल पास होते हैं। इतने में सुमित्रा महाजन ने यह कहकर बच्चों के लिए जटिल माहौल को सरल कर दिया कि मुझे लगा था कि आप जवाब देंगे कि यहां झगड़ा होता है। बच्चों की हंसी फूट पड़ी और माहौल सरल हो गया।

भविष्य में कुछ भी बनना लेकिन मन में सही भाव रखकर
इसी सरलता के साथ सुमित्रा महाजन ने बच्चों से उनकी रुचियां भी जानीं। किसी ने खेल में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचकर सफल न होने का मलाल बताया तो किसी ने राज्य स्तरीय खिलाड़ी होने का गौरव पेश किया। वहीं भविष्य में कुछ बनने के सवाल पर भी बच्चों की ओर से जवाब आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर और सबसे ज्यादा इंजीनियर बनने को लेकर आए। इस पर बच्चों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ पढना ही नहीं बल्कि खेलना भी जरूर है।

खासतौर से लड़कियों को जरूर खेलना चाहिए। आबादी के दबाव में खेल के मौदान गुम होते जा रहे हैं जब आप घरों से बाहर निकलेंगे तो शायद ही खेल के मैदान दिखाई दें। खेल से सामूहिक भाव पैदा होता है जो कि बेहद जरूरी है। जिंदगी में आप कुछ भी बनिए सबसे बड़ी जरूरत अच्छा इंसान बनने की है। मन में भाव रखकर काम करिए। व्यापारी भी बनिए तो बेहतर और अच्छे इंसान बनकर। यह छात्रवृत्ति आपकी बुद्धि से कमाई गई पहली तनख्वाह है। यह अंत नहीं बल् कि यहां से ही सपनों की उड़ान है। अमर उजाला के चुने होनहार सुमित्रा महाजन से कब घुल-मिल गए पता ही नहीं चला। सवाल-जवाब का सिलसिला चलता रहा।

बच्चों की राय-प्रतिक्रिया
विश्वास नहीं हो रहा कि इतनी जल्दी लोकसभा घूमकर आऊंगा। घर-परिवार और गांव में अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान के कारण मुझमें आत्मविश्वास जागा है। इतनी बड़ी परीक्षा थी मैंने इसे सफल कर लिया यह सपने जैसा है। मैं बड़ा होकर पीसीएस अधिकारी बनना चाहता हूं।-आशीष कुमार मौर्य, कुंडा,प्रतापगढ़, यूपी

मुझे बेहद खुशी है कि मैं अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा-2016 का न सिर्फ हिस्सा बना बल्कि इसमें सफल भी हुआ। इस सम्मान ने मेरे हौसले को चार गुणा बढ़ा दिया है। मैं बड़ा होकर एक प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहता हूं।-प्रखर दीक्षित, लखीमपुर, यूपी

अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा मेरे जीवन का पहली प्रतियोगिता थी।  इसको पार करने के बाद अब लगता है कि सभी प्रतियोगिताएं आसानी से पार हो जाएंगी। मैं दृष्टिहीन जरूर हूं लेकिन पढ़ाई के बाद यह भाव कम होता गया और मैं एक मजबूत व्यक्ति बनने की कोशिश कर रहा हूं। सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है। बड़ा होकर शिक्षक बनना चाहता हूं।-सुनील कुमार गुप्ता, कुशीनगर, यूपी

अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान एक पंख की तरह है। अब मैं हर किसी में भारतीय भावना को जागृत करना चाहता हूं। हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा प्रचार-प्रसार करना मेरा लक्ष्य है। भाषाओं में दिलचस्पी है।-अमित कुमार त्रिपाठी, महाराजगंज, यूपी
 
अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति सम्मान मिलने से मुझे और मेरे मां-पिता को बेहद खुशी है। मैं कृषि और बागबानी के क्षेत्र में बेहतर भविष्य चाहती हूं। इसलिए आगे मैं इसी ओर अपना कदम बढाऊंगीं।-ज्योति रावत, चंबा, हिमाचल प्रदेश

पहली बार पंजाब से दिल्ली आयी हूं और सोचा भी नहीं था कि लोकसभा जाने का मौका मिलेगा। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से दिया गया यह छात्रवृत्ति सम्मान मेरे लिए बेहद मायने रखता है। मैं भविष्य में एक शिक्षक बनना चाहती हूं। मेरा पसंदीदा विषय भौतिकी विज्ञान है।-मुश्कान चुघ, श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब

 

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