00 आपदा से प्रभावित बागी गांव को जोड़ने के लिए हैस्को की तकनीकी मदद से बनाया गया पैदल पुल
आपदा से प्रभावित बागी गांव को जोड़ने के लिए हैस्को की तकनीकी मदद से बनाया गया पैदल पुल

उत्तरकाशी। अब बागी गांव के ग्रामीणों को अपने घर और खेतों तक जाने के लिए जान की बाजी नहीं लगानी होगी। अमर उजाला फाउंडेशन ने हैस्को के तकनीकी सहयोग से जलकुर नदी पर महज आठ लाख रुपये से 15 मीटर स्पान की पैदल पुलिया बनवा दी है। रविवार 29 मई को प्रधानमंत्री के वरिष्ठ वैज्ञानिक सलाहकार डा.आर चिदंबरम ने इस पुल का लोकार्पण कर इसे महिला ब्रिज की संज्ञा दी।

वर्ष 1994 में जलकुर नदी में आई बाढ़ में डुंडा प्रखंड के बागी गांव को सड़क से जोड़ने वाली पुलिया बह गई थी। इसी आपदा में गांव का बड़ा हिस्सा भी भूधंसाव की जद में आकर बर्बाद हो गया था। सरकार ने 129 परिवारों के इस गांव को वरुणावत पैकेज के तहत नदी के दूसरी ओर चरगढ़ी तोक में पुनर्वासित तो कर दिया, लेकिन खेतों तक पहुंच मार्ग की सुध नहीं ली। यही कारण रहा कि 26 जून 2011 में खेतों से वापस लौटते समय नदी पार करते हुए बहने से दो महिलाओं की मौत हो गई थी। इससे पहले भी एक ग्रामीण की यहां बहने से मौत हुई थी। पुराने गांव में ही रह रहे स्कूली बच्चों को भी बरसात के सीजन में जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती थी। जून 2013 की आपदा के बाद प्रभावितों की मदद के लिए आगे आए अमर उजाला फाउंडेशन ने बागी गांव के ग्रामीणों की व्यथा को समझा और यहां पुल तैयार करने का निर्णय लिया। हैस्को के तकनीकी और हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के श्रम सहयोग से जलकुर नदी पर महज आठ लाख में 15 मीटर स्पान की पुलिया का निर्माण कराया। अब बागी गांव के बच्चे तथा खेतों में काम करने वाली महिलाएं इस पुल से आवाजाही कर स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और इसके लिए वे अमर उजाला का तहेदिल से आभार भी जता रहे हैं। रविवार को प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डा.चिदंबरम में इस पुल का लोकार्पण किया। इस मौके पर हैस्को के डा.अनिल जोशी एवं जाड़ी संस्था के द्वारिका प्रसाद सेमवाल, डा.राकेश आदि मौजूद रहे।

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